साफ़ – सुथराई पर क़ुरआन मजीद की हिदायतें

साफ़ – सुथराई पर क़ुरआन मजीद की हिदायतें

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

इस्लाम में सफ़ाई-सुथराई और पाकी की जो अहमियत है, उसका अन्दाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि ख़ुदा के पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को ख़ुदा की ओर से जब लोगों की रहनुमाई के अहम काम पर लगाया गया, उस समय ख़ुदा ने उन्हें जो आदेश दिए उनमें एक आदेश सफ़ाई और पवित्रता का भी था। अतः फ़रमाया- ‘‘ऐ ओढ़ने-लपेटने वाले! (पैग़म्बर मुहम्मद!) उठो और (लोगों को) सावधान करने में लग जाओ। और अपने पालनहार ख़ुदा की बड़ाई बयान करो। अपने दामन को पवित्र रखो और गन्दगी से दूर रहो।''(क़ुरान ७४:१-५) क़ुरआन मजीद में पाक-साफ़ रहनेवालों के बारे में कहा गया- ‘‘बेशक ख़ुदा तौबा करनेवालों को और पाक-साफ़ रहनेवालों को पसंद करता है।'' (क़ुरान २:२२२) तौबा (ख़ुदा से माफ़ी माँगने) और पाकी व सफ़ाई में परस्पर बड़ा गहरा सम्बन्ध है। तौबा इनसान को अन्दर से पाक-साफ़ करती है और सफ़ाई बाहर से यानी तौबा मन को पाक करती है और सफ़ाई तन को। नमाज़ इस्लाम की एक अहम इबादत है। हर मुसलमान मर्द और औरत पर दिन में पांच बार नमाज़ अदा करना फ़र्ज़ (अनिवार्य) है। इस इबादत को अदा करने से पहले हर प्रकार से पाक-साफ़ होना ज़रूरी होता है, जैसा कि आगे इसकी कुछ तफ़सील बयान की गई है। इतना ही नहीं, बल्कि क़ुरआन में आदेश है कि नमाज़ अदा करते वक़्त तन-मन की सफ़ाई के साथ-साथ ज़ाहिरी तौर पर एक शरीफ़ाना लिबास भी इख़्तियार किए रहें। कहा गया- ‘‘हर नमाज़ के वक़्त अपनी ज़ीनत (बनाव-संवार) इख़्तियार किए रहो।'' (क़ुरान ७:३१) नमाज़ के वक़्त जीनत इख़्तियार करने का मतलब यह है कि तुम्हारा लिबास और वेश-भूषा शरीफ़ाना होनी चाहिए, जिससे मालूम हो कि तुम ख़ुदा के दरबार में हो।

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